गुरू परंपरा

|| श्री ||

नमो आदिनाथ गुरू प्रथम | त्याचे पायी नमस्कार भक्तीभावे ||१||
तयापासून आदिमाया शिव-शक्ती बीज | मिळाले ते सहजमत्स्येंद्राते ||२||
मत्स्येंद्राने बीज दिले गोरक्षाप्रती | गोरक्षे गहिनी धन्य केला ||३||
गहिनीनाथे बोध दिली निवृत्तीसी | निवृत्ती उपदेशी ज्ञानदेवा ||४||
ज्ञानदेवा शिष्य विसोबा खेचर | ऐसे झाले मुनि वामनादि ||५|| 
वामनाची स्फूर्ति अाप्पा माऊलीला | माऊलीने वरदहस्त जगन्नाथे ठेविला ||६||
जगन्नाथा शरणांगत असे महादेव | पुढे झाले ऐसे शिष्य असंख्यात ||७|| 
योगसार ऐसे संत परंपराप्राप्त | सदगुरू जगन्नाथ देई मज ||८||
महादेव म्हणे धन्य झाले जीवन | सदगुरू चरण धरूनिया ||९||
                                                                    - दत्तदासांचे दीनदास महादेव बांबरकर महाराज